वैशाख के महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरूथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार इस एकादशी के व्रत से समस्त पाप व ताप नष्ट होते हैं। मान्यता है कि इस लोक के साथ-साथ व्रती का परलोक भी सुधर जाता है।
वैसे तो भारतीय संस्कृति में सभी छब्बीस एकादशियों को अमोघ फल देने वाला बताया गया है, किंतु वरूथिनी एकादशी को दुख, दरिद्रता और कष्टमुक्ति के लिए विशेष रूप से प्रभावी माना गया है।
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वरुथिनी एकादशी सौभाग्य देने, सब पापों को नष्ट करने तथा मोक्ष देने वाली है।वरुथिनी एकादशी के बारे में भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को इसके महत्व के बारे में बताया था। कहा जाता है कि इस व्रत को जो भी करता है उसे मृत्यु के उपरांत बैकुंठ की प्राप्ति होती है और जीवन भर सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मन को भी शांति और सुकून मिलता है।
इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी मिश्रित जल अर्पित करने से आपके घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। इस व्रत का पारण करने के बाद उपासक को खरबूजे का दान करना चाहिए।
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